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आज का विद्यार्थी
मित्रों आज की उदयपुर की धमाकेदार और जबरदस्त इंटरेस्टिंग धोने वाले दोस्तों आज की उर्दू एकदम जबरदस्त एटीट्यूड दोस्ती और सरल भाषा में मिर्ची खाने वालों पूरी वीडियो देखना है क्योंकि वीडियो में आप एक मिस करते हो तो दोस्तों आपको अच्छी तरह समझ में नहीं आता दोस्तों हमारे डीएम मराठी एडिटिंग यूट्यूब चैनल पर फ्री में मटरेल प्रोवाइड होता है तो दोस्तों हमारी यूट्यूब चैनल पर विजिट करें और दोस्तों अपने चैनल को सब्सक्राइब करें और बैल आइकन नोटिफिकेशन को अल पर सेट करें
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[ ( १ ) विद्यार्थी जीवन का महत्त्व ( २ ) विद्यार्थी का मानसिक
(३) शारीरिक दुर्बलता (४) अन्य दुर्गुण (५) उज्ज्वल रूप (६) उपसंहार । ] विद्यार्थी जीवन मनुष्यजीवन का स्वर्णकाल माना जाता है। यह समय भावी जीवन क सफलता की आधारशिला है। पर, खेद की बात है कि आज का विद्यार्थी अपने इस महत्त्वपूर्ण जीवनकाल की महत्ता और पवित्रता को भूल गया है।
आज के अधिकांश विद्यार्थियों में ज्ञानप्राप्ति के प्रति स्वाभाविक रुचि और जिज्ञासा क अभाव दिखाई देता है। उनमें न त्याग की भावना है, न तप करने की क्षमता है। वे शिक्षा को बोझ समझते हैं, किताबों को दुश्मन मानकर उनसे दूर भागना चाहते हैं। दिन-प्रतिदिन अध्ययन के प्रति उनकी दिलचस्पी कम होती जा रही है। आज का विद्यार्थी जब अपने निर्धारित पाठ्यक्रम की ही उपेक्षा करता है, तब उससे पाठ्येतर अध्ययन की क्या आशा की जा सकती है? आधुनिक विद्यार्थी का एकमात्र उद्देश्य अपेक्षित प्रश्नोत्तरों को रटने और जैसे-तैसे परीक्षा उत्तीर्ण करने तक ही सीमित होता जा रहा है।
प्राचीन विद्यार्थियों की भाँति आज का विद्यार्थी तेजस्वी और बलिष्ठ नहीं है। उसका स्वास्थ्य अच्छा नहीं है। आँखों पर ऐनक, पीला चेहरा, पिचके गाल और झुकी हुई कमर! यही है, आज का दुर्बल-शरीर विद्यार्थी! शरीरश्रम को वह बेवकूफी समझने लगा है। चाय की प्यालियाँ और विटामिन की गोलियाँ ही उसके जीवन का सहारा बन गई है।
आज के विद्यार्थी के लिए विनय, संयम, कर्तव्यनिष्ठा और अनुशासन के आदर्श पुराने हो गए हैं। उसमें एकलव्य की गुरुभक्ति और अर्जुन की निष्ठा नहीं है। उसमें राम-लक्ष्मण की आज्ञाकारिता और अर्जुन की एकाग्रता भी नहीं है। गुरुजनों के प्रति उपेक्षापूर्ण व्यवहार करना उसके लिए स्वाभाविक हो गया है। वह अपने सारे व्यवहारों में स्वच्छंद हो गया है। वह आजकल उत्तेजक पदार्थों का सेवन भी करने लगा है। उथले साहित्य से उसे विशेष प्रेम है। सिनेमा या दूरदर्शन देखने के लिए रात का जागरण ही उसकी तपश्चर्या है। समय की पाबंदी से उसे कोई मतलब नहीं है। नखशिख टीमटाम और पोशाक की तड़क-भड़क में उसकी विशेष रुचि है। पिकनिक-पार्टी, धूम्रपान, सूटबूट और नाच-गान की विलासी छाया में ही वह पलता है।
किंतु इसका यह मतलब नहीं है कि आज का विद्यार्थी हर तरह से पिछड़ा हुआ और दुर्बल है। यह तो सिक्के का एक ही पहलू है। आज के विद्यार्थी में अपार शक्ति भरी हुई है। आज अनेक विद्यार्थी ऐसे भी हैं जो देश में अथवा विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। विज्ञान, खेल-कूद, चिकित्सा आदि अनेक क्षेत्रों में उन्होंने अपूर्व सिद्धियाँ पाई हैं। पर इनकी मात्रा दाल में नमक के बराबर ही है।
सचमुच, आज के विद्यार्थी का जीवन काले-गोरे रंगो से चित्रित है|
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व्हिडिओ पुर्ण बघा🔥😎⚡🙏😍
वेबसाईट ला भेट दिल्याबद्दल धन्यवाद 😍😍❤️
Shafik
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